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*डिजिटल शिक्षा की रोशनी अब पर्वतीय स्कूलों तक, अवादा फाउंडेशन और प्लैनेट रीड के सहयोग से 665 स्कूलों में स्मार्ट लर्निंग की शुरुआत*

(रिपोर्ट: ईश्वर शुक्ला)
ऋषिकेश/उत्तराखंड भास्कर समाचार सेवा- उत्तराखंड के सीमांत क्षेत्रों में अवादा फाउंडेशन शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने का काम कर रहा है। इसके लिए फाउंडेशन बजट भी अपने स्तर से जुटाने में लगा हुआ है। अब तक उत्तराखंड के 665 स्कूलों की दशा सुधारने के साथ शिक्षा की गुणवत्ता को फाउंडेशन की डायरेक्टर रितु पटवारी ने अपने सदस्यों के साथ मिलकर बढ़ाया है। अवादा फाउंडेशन देश के 19 राज्यों में काम कर रहा है। फाउंडेशन का मुख्य उद्देश्य शिक्षा सशक्तिकरण पर्यावरण स्वास्थ्य और ग्रामीण इलाकों को सौर ऊर्जा के माध्यम से बिजली उपलब्ध कराना है।


इस संबंध में फाउंडेशन की डायरेक्टर रितु पटवारी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। जिसमें उन्होंने फाउंडेशन के क्रियाकलापों के बारे में जानकारी दी और अपने उद्देश्यों से अवगत कराया।
उन्होंने बताया कि ऋषिकेश और आसपास के 12 सरकारी स्कूलों में अभी तक फर्नीचर की व्यवस्था फाउंडेशन करवा चुका है। उत्तराखंड के बॉर्डर वाले इलाकों के 42 स्कूलों में वर्चुअल क्लास के माध्यम से बच्चों को पढ़ाई कराई जा रही है।
सामान्य से लेकर विषय-आधारित डिजिटल पाठ्य सामग्री।
डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से बच्चों को एनिमेटेड वीडियो, प्रोजेक्टर और एक्टिविटी-बेस्ड शिक्षण सामग्री उपलब्ध कराई जा रही है, जो बच्चों को कक्षा 1 से 12 तक के पाठ्यक्रम को सहज और रोचक ढंग से समझने में मदद करती है।
शिक्षकों के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम।
शिक्षकों को भी डिजिटल शिक्षा पद्धतियों और स्मार्ट शिक्षण तकनीकों का प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जिससे वे बच्चों को नई शिक्षा प्रणाली से जोड़ सकें। यह प्रशिक्षण शिक्षकों की कार्यशैली को न केवल आधुनिक बना रहा है बल्कि उन्हें तकनीकी रूप से भी सशक्त कर रहा है।
सुदूर क्षेत्रों में नई उम्मीद की किरण।
उत्तराखंड के सीमांत जनपदों जैसे पिथौरागढ़, बागेश्वर, चमोली, टिहरी और उत्तरकाशी के दूरस्थ गांवों तक इस पहल का लाभ मिल रहा है। जिन क्षेत्रों में इंटरनेट और संसाधनों की भारी कमी थी, वहां अब डिजिटल शिक्षा की नई रोशनी पहुंच रही है।
समुदाय की भी सक्रिय भागीदारी।
इस योजना में शिक्षक, अभिभावक, पंचायत प्रतिनिधि और समुदाय के सदस्य भी सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। बच्चों को पढ़ाई के लिए अब घर पर भी डिजिटल सामग्री मिल रही है, जिससे घर में भी शिक्षा का माहौल बन रहा है।
स्वास्थ्य और राहत कार्यों में भी सक्रिय फाउंडेशन।
अवादा फाउंडेशन ने केवल शिक्षा में ही नहीं बल्कि कोविड संकट के समय भी हजारों परिवारों तक राहत सामग्री पहुंचाई। साथ ही ऑक्सीजन कंसंट्रेटर और 25 BiPAP मशीनें भी राज्य सरकार को दी गईं।
उत्तराखंड के पहाड़ों में डिजिटल शिक्षा की यह पहल एक नई क्रांति का संकेत है। अवादा फाउंडेशन व प्लैनेट रीड के इस संयुक्त प्रयास से राज्य की शिक्षा व्यवस्था में उल्लेखनीय सुधार की उम्मीद की जा रही है। अब पर्वतीय छात्र भी डिजिटल युग की मुख्यधारा से जुड़ पा रहे हैं, जो राज्य के सर्वांगीण विकास की दिशा में एक मजबूत कदम है।