*मोदी के पहल से आखिरी गांव बना पहला गांव, चीन बॉर्डर पर माणा गांव को मिली एक विशेष पहचान, भारत की पहली चाय की दुकान पर हर कोई लेता है यादगार फोटो*
*चीन बॉर्डर पर माणा गांव को मिली एक विशेष पहचान भारत की पहली चाय की दुकान पर हर कोई लेता है यादगार फोटो*

(रिपोर्ट@ईश्वर शुक्ला) ऋषिकेश/उत्तराखंड भास्कर । चमोली जिले के बद्रीनाथ से 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित माणा गाँव में चंद्र सिंह बड़वाल की मशहूर “भारत की आखिरी चाय की दुकान” के नाम से चाय की दुकान जो दशकों से इसी नाम से मशहूर होकर विख्यात हो रही थी वही अक्टूबर 2022 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के माणा गाँव के दौरे पर निकले थे मोदी जी का कहना था कि माणा गाँव को देश का प्रथम गांव कहा जाना चाहिए और भारत की सीमा पर स्थित हर गांव को यही कहना चाहिए। वही मोदी ने अपने संबोधन में कहा था कि माणा गांव से सीमा क्षेत्र तक पर्यटन को बढ़ावा देने की बात भी कही थी जहां माणा के ग्रामीणों ने जमकर तारीख भी की थी ।
इस बात को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने माणा को नई पहचान दी और बॉर्डर रोड्स ऑर्गेनाइजेशन BRO ने इस गांव की शुरुआत में “भारत का प्रथम गांव माणा” का बोर्ड लगा दिया । जिसे कुछ दिन पहले तक देश का आखिरी गांव कहते थे अब वहीं देश का प्रथम गांव के नाम से लोग जानने लगे जिस कारण चाय की दुकान का नाम भी बदलकर “भारत की प्रथम चाय की दुकान” के नाम रखना पड़ा ।
उत्तराखंड एक ऐसा राज्य है जहां चप्पे-चप्पे पर प्राकृतिक सुंदरता बिखरी पड़ी है देश के प्रमुख तीर्थ स्थलों से इस नगर में आने वाला हर व्यक्ति यहां से हजारों यादें सहेज कर लौटता है जो ताम्र उनके जेहन में बसी रहती है यहां के चमोली जिले में चीन की सीमा में लगे देश के इस गांव को अब कहे जाने लगा प्रथम गांव क्योंकि माणा का आकर्षण कुछ ऐसा हि है ।
बद्रीनाथ धाम की यात्रा के दौरान पढ़ने वाले इस गांव में चाय की एक छोटी सी दुकान हर तीर्थ यात्री को बरबस अपनी ओर खींच ही लेती है । वैसे तो चाय की दुकान हर जगह होती है क्योंकि यह सीमावर्ती क्षेत्र में बसा गांव है इसलिए इस चाय की दुकान को भारत की प्रथम चाय की दुकान के नाम से अब जाना जाने लगा है बर्फीली ठंडी हवाओं के झोंकों के बीच हर तीर्थ यात्री इस दुकान पर चाय की चुस्कियां का (टूल )उठाने और फोटो खिंचवाने में आकर्षण से खुद को रोक नहीं पता शायद ही कोई ऐसा तीर्थयात्री या श्रद्धालु होगा जिसके कदम बद्रीनाथ धाम से 3 किलोमीटर आगे माणा गांव में इस दुकान पर लगे भारत की प्रथम चाय की दुकान के बोर्ड को देखकर ठिठक नही जाते हो और वह वहाँ रुक कर फोटो नहीं खिंचवाता या चाय पीता हो एक अनुमान के अनुसार इस दुकान पर प्रतिदिन लगभग 2 से 3 हजार तीर्थयात्री व श्रद्धालुओं के कदम ठिठकते हैं और इस बोर्ड के साथ फोटो खिंचवे बिना नहीं रहते हैं, जो तीर्थ यात्री तथा श्रद्धालु अपने यादगार क्षणों को कैमरे में कैद कर ही लेते है । बता दे कि तीर्थ यात्रियों के आकर्षण का केंद्र यह चाय की दुकान है चंद्र सिंह बड़वाल की जो लगभग 32 वर्ष से कड़ाके की ठंड में तीर्थ यात्रियों को गरमा गरम चाय पिला रहे हैं बड़वाल जी बताते हैं कि जब वह 10 वर्ष के थे तब उन्होंने पढ़ाई के धनार्जन के लिए यह दुकान खोली थी और स्कूल जाने से पहले और लौटने के बाद दुकान चलाया करते थे ।
छः माह तक बर्फ की चादर में गांव ।
समुद्र तल से 3219 मीटर की ऊंचाई पर स्थित माना गांव 6 माह तक बर्फ की आगोश में रहता है इसी कारण अक्टूबर माह के अंत से सर्दियों के दौरान गांव वाले अपने-अपने मवेशियों के साथ गोपेश्वर के निचले इलाकों में चले जाते हैं और यात्रा प्रारंभ होने के दौरान ही आते हैं ।
तुलसी वाली चाय से ताजगी का संचार ।
चंद्र सिंह बड़वाल की व्यवस्था का यह आलम रहता है कि उन्हें सुबह से लेकर शाम तक चाय बनाने से फुर्सत नहीं मिलती वह तुलसी के पत्ते डालकर बनाई गई चाय और विशेष तिब्बती व्यंजन परोस कर थके हर तीर्थ यात्रियों व श्रद्धालियों को तरोताजगी का संचार कर देते हैं दुकान पर लगा साइन बोर्ड जिस पर अंग्रेजी सहित 10 भाषाओं में लिखा “स्वागत” तीर्थयात्री व श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करता है ।