*वैदिक ब्राह्मण महासभा ने किया स्पष्ट निर्णय, 21 अक्टूबर को ही मनाई जाएगी दीपावली, ज्योतिषीय प्रमाणों के आधार पर लिया गया निर्णय*

(रिपोर्ट@ईश्वर शुक्ला) ऋषिकेश/उत्तराखंड भास्कर- वैदिक ब्राह्मण महासभा, ऋषिकेश (उत्तराखंड) की एक विशेष बैठक आज महासभा के प्रधान कार्यालय जनार्दन आश्रम दंडीवाड़ा, मायाकुंड में आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता महासभा के अध्यक्ष पंडित जगमोहन मिश्रा ने की। इस अवसर पर देवभूमि के अनेक ज्येष्ठ एवं श्रेष्ठ शास्त्रज्ञ, ज्योतिषाचार्य और विद्वान उपस्थित रहे।
बैठक का मुख्य उद्देश्य यह स्पष्ट करना था कि सनातन धर्म का प्रमुख त्योहार दीपावली महापर्व 20 अक्टूबर को मनाया जाए या 21 अक्टूबर को, क्योंकि बीते कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर इस विषय में भ्रमित करने वाली सूचनाएं फैल रही थीं। महासभा ने इसे धर्म और समाज की दृष्टि से महत्वपूर्ण मानते हुए शास्त्रीय प्रमाणों के आधार पर एकमत निर्णय लिया।
सभी विद्वानों ने निर्णय सिंधु, धर्म सिंधु, पुरुषार्थ चिंतामणि एवं तिथि निर्णय जैसे अनेक धर्मग्रंथों का गहन मंथन किया। शास्त्रों के अनुसार त्रिमुहूर्त नियम (त्रि व्यापिनी तिथिरेव ग्राह्या) यह कहता है कि यदि अमावस्या तिथि सूर्यास्त से पूर्व अंतिम तीन मुहूर्तों (लगभग चार घंटे) तक विद्यमान हो तो वही दिन लक्ष्मी पूजन हेतु ग्राह्य माना जाता है। इस आधार पर 21 अक्टूबर को अमावस्या तिथि सूर्यास्त स्पर्श सहित विद्यमान है, अतः दीपावली महापर्व उसी दिन मनाना शास्त्रसम्मत है।
विद्वानों ने युग्मवाक्य — “युग्मानि युग भूतानां… प्रतिपदायामावस्या तिथ्योः युग्म महाफलम्…” — का उल्लेख करते हुए बताया कि प्रदोषकाल में अमावस्या और प्रतिपदा का युग्म (संयोग) महापुण्यदायी माना गया है। साथ ही चतुर्दशी रिक्ता तिथि और अमौके योग को अनिष्टकारी बताया गया है। इन सभी प्रमाणों के आलोक में महासभा ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि दीपावली का महापर्व 21 अक्टूबर 2025, मंगलवार को ही मनाया जाना उचित है।
बैठक में महासभा के अध्यक्ष पंडित जगमोहन मिश्रा, महामंत्री आचार्य शिवप्रसाद सेमवाल, गंगाराम व्यास, जितेंद्र भट्ट, मनोज सिलसवाल, केशव बहुगुणा, जमुना प्रसाद कलोनी, दिनेश तिवारी, अमित कोठारी, पंडित सोमनाथ, मुकेश थपलियाल, सुरेश पंत, मोहित भट्ट, आयुष कोठारी एवं आयुष गौड़ सहित कई ब्राह्मण प्रतिनिधि उपस्थित रहे।
बैठक के अंत में महासभा के अध्यक्ष ने सभी विद्वानों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि सनातन परंपरा में हर पर्व केवल उत्सव नहीं, बल्कि धर्म और विज्ञान का संगम है। महासभा का उद्देश्य समाज को भ्रम से मुक्त कर सटीक शास्त्रीय दिशा देना है।




