*कुमारी सोमाशेखरानन्द सरस्वती को “आईकॉनिक पीस अवॉर्ड काउंसिल” द्वारा कला और संस्कृति के क्षेत्र में मानद डॉक्टरेट उपाधि से किया सम्मानित*
(रिपोर्ट@ईश्वर शुक्ला)। ऋषिकेश/नई दिल्ली/उत्तराखंड भास्कर – कांस्टीट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया, नई दिल्ली में आयोजित एक भव्य समारोह में विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाली विभूतियों को सम्मानित किया गया। इसी कड़ी में उत्तराखंड के ऋषिकेश स्थित मुनि की रेती क्षेत्र के ओंकारानंद आश्रम हिमालयाज़ की महा-सचिव, सुप्रसिद्ध कला साधिका एवं समाजसेवी कुमारी सोमाशेखरानन्द सरस्वती को ‘आईकॉनिक पीस अवॉर्ड काउंसिल, नई दिल्ली द्वारा ‘कला और संस्कृति’ के क्षेत्र में उनके विशिष्ट योगदान के लिए मानद पीएच.डी (Honorary Doctorate) उपाधि प्रदान की गई जो भारत सरकार से मान्यता प्राप्त है।
इस अवसर पर अपने सम्बोधन में डॉ कुमारी सोमाशेखरी ने अपने परमपूज्य सद्गुरुदेव परमहंस ओंकारानन्द सरस्वती की असीम कृतज्ञता प्रकट की।
डॉ कुमारी सोमाशेखरी न केवल एक प्रसिद्ध भरतनाट्यम नृत्यांगनी हैं, बल्कि उन्होंने नाट्यशास्त्र, भारतीय भाषाओं और संस्कृति के संवर्धन में भी अद्वितीय योगदान दिया है। वे उत्तराखंड के विभिन्न क्षेत्रों में स्कूलों की स्थापना कर शैक्षिक और सांस्कृतिक क्षेत्र में निरंतर सेवा दे रही हैं। उनकी प्रेरक कला यात्रा ने न केवल उत्तराखंड, बल्कि सम्पूर्ण भारतवर्ष को गौरवान्वित किया है। उन्होंने कला और साहित्य को समाज के सभी वर्गों तक पहुँचाने का कार्य पूरे समर्पण भाव से किया है।
इस समारोह में देश भर से सामाजिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में विशिष्ट योगदान देने वाले सैकड़ों प्रतिभागियों ने भाग लिया। कार्यक्रम में उत्तराखंड के माननीय सांसद नरेश बंसल ने मुख्य अतिथि के रूप में अपनी गरिमामयी उपस्थिति दर्ज की और सभी पुरस्कार विजेताओं को शुभकामनाएं दीं।
ओंकारानन्द आश्रम हिमालयाज़ की और से परमपूज्य महन्त स्वामी विश्वेश्वरानन्द सरस्वती, परमाध्यक्ष, ओंकारानन्द आश्रम हिमालयाज़, डॉ प्रवीण कुमार राठी, निदेशक, ओंकारानंद इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी और डाँ अनुपम वैद, न्यासी, भी उपस्थित थे।
डॉ कुमारी सोमाशेखरी को मिले इस सम्मान से न केवल ऋषिकेश क्षेत्र में, बल्कि सम्पूर्ण उत्तराखंड में हर्ष और गर्व की लहर है। उनके इस सम्मान ने यह सिद्ध कर दिया है कि समर्पित सेवा, संस्कृति के प्रति निष्ठा और सामाजिक जागरूकता से किए गए कार्य कभी अनदेखे नहीं जाते।
