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*स्वाहाकार से गूंज उठा सोमेश्वर महादेव मंदिर का यज्ञशाला, 11 कुंडीय होमोात्मक महारुद्र यज्ञ के दूसरे दिन 4 लघु रुद्र हुआ पूर्ण, स्थानीय लोग पूजा में शामिल होकर बने पुण्य के भागी : श्री महंत*

 

(रिपोर्ट@ईश्वर शुक्ला)
ऋषिकेश/उत्तराखंड भास्कर – गंगानगर स्थित सिद्ध पीठ श्री सोमेश्वर महादेव मंदिर के प्रांगण में पांच दिवसीय 11 कुंडीय होमात्मक महारुद्र यज्ञ के आज दूसरे दिन सोमेश्वर महादेव मंदिर के यज्ञशाला के साथ पूरा गंगानगर स्वाहाकार से गूंज उठा। आज शनिवार को दूसरे दिन प्रातः कालीन बेला में पंचांग आदि समस्त पूजन के बाद आज महारूद्र के बीच 4 लघुरुद्र पूर्ण हुआ जो 25 मार्च तक चलेगा। 26 मार्च को महाशिवरात्रि और 27 मार्च को नागा बाबा साधू सन्यासियों के साथ नगर के भव्य शिव बारात निकाली जाएगी जो त्रिवेणी घाट पहुँचेगी जहा शिव और पार्वती के विवाह के बाद बारात पुनः सोमेश्वर मंदिर आएगी शिव बारात में नागा संन्यासी आकर्षण का केंद्र रहेंगे और इसी दिन विशाल भंडारे के साथ महारुद्र यज्ञ का समापन होगा।


मंगलवार को सिद्ध पीठ श्री सोमेश्वर महादेव मंदिर में चल रहे पांच दिवसीय ग्यारह कुण्डीय महारुद्र यज्ञ के दूसरे दिन प्रातः कालीन बेला में पंचांग आदि पूजन करके उसके पश्चात वस्तु पूजन भ्रह्मदि पूजन षोडश स्तंभो का पूजन इन्द्रादि दस दिग्पालों का पूजन महाबली हनूमान जी का पूजन और उसके पश्चात महाकाली महालक्ष्मी महासरस्वती पूजन सहित गजानन चतुशष्ठी योगिनी का आवाहन पूजन किया गया।
उसके पश्चात क्षेत्रपाल मंडल देवता आवाहन स्थापना पूजन का सूर्यादि ग्रह का आवाहन स्थापन पूजन और असंख्यात रुद्र कलश का आवाहन स्थापना पूजन करके उसके बाद सोमेश्वर महादेव शिवलिंग के उपर रुद्राभिषेक हुआ तत्पश्चात अग्नि पूजन करके आज महल रुद्र के बीच संख्यायो की पूर्ति हेतु लघुरुद्र किया गया। इस दौरान 11 हवनकुंड पर कुंडचार्यो द्वारा सभी जजमानों को विधि विधानस यज्ञ और पूजा पाठ कराया गया।

मंदिर के श्री महंत रामेश्वर गिरि महाराज ने सभी स्थानीय लोगों व भक्तजनों से आग्रह किया है कि रुद्र महायज्ञ में अधिक से अधिक संख्या में शामिल होकर पुण्य के भागी बने। रुद्र महायज्ञ में मुख्य आचार्य पंडित विशाल मणि भट्ट, आचार्य पंडित सुमेश भट्ट, पं हिमांशु कुलियाल, पं सुभाष भट्ट, पं संदीप घनसोला, पं अंकित बहुगुणा, पं नीरज नौटियाल, पं नरेश नौटियाल, पं हरिश बहुगुणा, पं नीरज बलूनी, पं चंडी प्रसाद, पं सुनील डबराल, पं नरेंद्र भट्ट, पं शिवम शुक्ला सहित तमाम आचार्य पंडित उपस्थित रहे।

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