Blogउत्तराखंड भास्करऋषिकेशएक्सक्लूसिव खबरेंखास खबरसिटी एक्सप्रेस स्पेशल
*दीपावली से पहले उल्लुओं की जान पर आफत, वन विभाग ने जारी किया अलर्ट, जानिए इसके पीछे की वजह, आरक्षित वन क्षेत्र में चप्पे-चप्पे पर तैनाथ होंगे वनकर्मी*

(रिपोर्ट@ईश्वर शुक्ला) ऋषिकेश/उत्तराखंड भास्कर – उत्तराखंड के जंगलों के साथ-साथ नरेंद्र नगर वानप्रभाग के प्रभागीय वनाधिकारी अमित कंवर ने दीपावली से पहले अलर्ट जारी कर दिया है। संरक्षित के अलावा उल्लुओं की मौजूदगी वाले वन क्षेत्र में अलर्ट जारी हुआ है। तस्करों की गतिविधि पर नजर रखने के लिए गश्त तेज कर दी गई है। उत्तराखंड में दीपावली से पहले तस्करों की नजर जंगलों पर बढ़ जाती है। किदवंतियों और अंधविश्वास के कारण उल्लुओं की डिमांड बढ़ जाती है। जंगलों में मोटी कीमत मिलने के लालच में तस्कर उल्लू का शिकार करने पहुंच जाते हैं।
प्रभागीय वनाधिकारी अमित कंवर ने बताया कि इस समय विभिन्न त्योहार समीप है इस दौरान वन्यजीव अपराधियों के सक्रिय होने की संभावना बढ़ जाती है और शिकारियों द्वारा इन्हें अवैध रूप से पकड़ने एवं बेचने का प्रयास किया जाता है। बता दे कि दीपावली पर उल्लू के अंगों से तंत्र-मंत्र के चलते बाजार में कीमत बढ़ जाती है। बताया जाता है कि उल्लू के नाखून, आंख, चोंच और पंखों का इस्तेमाल तंत्र-मंत्र के लिए किया जाता है। अमावस्या की रात में तंत्र मंत्र को सिद्ध करने का भी अंधविश्वास लोगों में है।

( अमित कंवर प्रभागीय वनाधिकारी नरेंद्रनगर वन प्रभाग)
उल्लू को धन संपदा की देवी लक्ष्मी का वाहन माना जाता है। मान्यता है कि तांत्रिक कर्मकांड धन संपदा अर्जित करवाता है। यही वजह है कि इस अंधविश्वास के कारण तस्करों की चांदी हो जाती है। वो दीपावली से पहले जंगलों में सक्रिय हो जाते हैं।
तस्करों के उल्लू का शिकार करने के कारण उनकी प्रजाति अब विलुप्त होने की कगार पर आ गई है। हर साल दीपावली से पहले वन विभाग अलर्ट मोड में आ जाता है। इस साल भी इन्हीं संभावनाओं को देखते हुए रिजर्व फॉरेस्ट के अलावा विभिन्न दूसरे वन क्षेत्र में भी अलर्ट जारी किया गया है।
बताया कि उल्लू की विभिन्न प्रजातियां वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत पूर्णता संरक्षित हैं वह इनके शिकार अथवा शिकार का प्रयास अधिनियम के तहत अपराध घोषित है ।

वहीं अधिकारियों और कर्मचारियों को क्षेत्र में लगातार गस्त बढ़ाने ड्रोन सीसीटीवी कैमरा व मुखविरो के माध्यम से निगरानी ऊंचाई वाले क्षेत्रों में पैदल मार्गो में खालो पर निगरानी और जिन क्षेत्रों में उल्लू बहुत आयात में पाए जाते हैं वहां पर विशेष निगरानी रखे जाने के निर्देशित किया गया है ।
लिसा भंडार ऋषिकेश को आबादी क्षेत्र में गिरा होने के कारण पटाखों की अग्नि से भंडारीत लीसा की सुरक्षा के लिए फायर उपकरणों को दुरुस्त रखने के निर्देश दिए तथा गंगा तट अन्य स्थलों में अवैध रूप से कैंपिंग गतिविधियों की संभावना की दृष्टिगत संभावित वन क्षेत्राधिकार को विशेष अभियान चलाकर कार्रवाई करने के लिए भी निर्देशित किया गया है । डीएफओ अमित कंवर ने अधिकारियों और कर्मचारियों को क्षेत्र भ्रमण के दौरान आने वाले गांव में रुक-रुक कर पटाखों से पर्यावरण को होने वाले नुकसान के बारे में बताने और इकोफ्रेंडली दिवाली मनाने के लिए प्रेरित करने की बात कही है ।